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Akhand Jyoti
Year 1977
Version 1
स्वर्गीय वातावरण सृजनात्मक...
स्वर्गीय वातावरण सृजनात्मक प्रयतनों से बनेगा
December 1977
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Page Titles
बुद्धिमान किन्तु अनाड़ी चौकीदारी -स्वामी रामतीर्थ
आनन्द अपने मुट्ठी में भरा पड़ा है
ईश्वर है या नहीं, यदि है तो कैसा है
आध्यात्मिक जीवन के पाँच पक्ष
विज्ञान और वेदान्त एक ही निष्कर्ष पर पहुँच रहे हैं
परिस्थितियाँ हम स्वयं ही बनाते हैं
अन्तरिक्ष की अनन्त गहराइयों में झाँकता मानवीय प्रतिबिम्ब
जीवन श्रद्धा और शालीनता युक्त जियें
स्वर्गीय वातावरण सृजनात्मक प्रयतनों से बनेगा
मरणोत्तर जीवन कए सच्चाई
हमारी मृत्यु कभी हो ही नहीं सकती
मनुष्य ही क्या प्रकृति की प्रत्येक रचना परिपूर्ण है
आदमी को आदमी बनना होगा
स्मरण शक्ति की कमी-कारण और निवारण
युग की समस्याएँ और उनका समाधान
दवा से रोग दबते भर हैं जाते नहीं
जो वर्तमान में जीता है वही जीवित है
स्वणम युग का सूत्रपात भविष्यवक्ताओं के उदो.......
संतोष की साँस लें आश्शावान रहें
सात शक्ति धाराओं का प्रज्वलन सप्तचक्र साधन
प्रेमी पाठकों को एक अभिनव हर्ष समाधार
अपनों से अपनी बात- बसन्त पर्व का नव-जीवन सन्देश
सन् ७८ में शान्तिकुंज के सत्र प्रशिक्षण
अखण्ड ज्योति सदस्यों को अति आवश्यक सूचनाएँ
मानव और देवता (कविता) - माया वर्मा
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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