सौन्दर्य और शक्ति का स्रोत अन्तस् में

April 1976

Read Scan Version
<<   |   <  | |   >   |   >>

सौन्दर्य और शक्ति का भण्डार भीतर भरा है, बाहरी साधनों से तो मात्र उसकी सुव्यवस्था और सुसज्जा ही सम्भव हो सकती है। जीवन कोई बाहर से नहीं दे सकता वह तो आन्तरिक क्षमता पर ही निर्भर रहता है और जब वह जीवनी शक्ति खोखली हो जाती है और चुक जाती है तो कोई बाह्योपचार जीर्णता एवं मृत्यु को रोके रहने में सफल नहीं हो सकता है।

अध्यापक पढ़ा सकता है, पर मानसिक स्तर नहीं दे सकता। सुन्दरता को निखारने वाले शृंगार प्रसाधन तो बाजार में बहुत बिकते हैं, पर सौन्दर्य की मूल सत्ता तो भीतर ही रहती है। कलेवर की कुरूपता और अवयवों की अपंगता को दूसरों की सहायता से एक सीमा तक ही घटाया जा सकता है।

बीज की उत्पादन शक्ति मौलिक है। किसान उसे उगाने, बढ़ाने में अपने श्रम एवं कौशल का सफल उपयोग कर सकता है, पर गेहूँ के दाने से कपास उगा सकना उसके लिए कब सम्भव होता है। वर्षा के बादल कठोर चट्टानों को न तो गीला कर पाते हैं और न उन पर हरियाली उगा सकने में समर्थ होते हैं।

सौन्दर्य और शक्ति सम्पदा के अजस्र भण्डार अपने ही भीतर भरे हैं उन्हें पहचाना ढूँढ़ा और समेटा जा सकेगा तो कोई भी व्यक्ति अपनी दरिद्रता और कुरूपता से पीछा छुड़ा सकता है। बाहरी साधनों और व्यक्तियों की अनुकूलता के लिए जितना प्रयास किया जाता है उससे कहीं कम में मनुष्य असीम विभूतियों का अधिपति बन सकता है। यदि वह अन्तर को खोजे और उसे परिष्कृत करने की तत्परता बरते।

----***----


<<   |   <  | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles






Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118