ज्ञातव्य

April 1968

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(1) विश्व का भावनात्मक नव-निर्माण करने के उद्देश्य से अ.भा. गायत्री परिवार मथुरा द्वारा सूक्ष्म जगत एवं जन-मानस का परिष्कार करने के लिये ‘महत्तम गायत्री महापुरश्चरण’, बसंत पंचमी सं. 2024 (3 फरवरी 1968) से आरंभ किया गया है। इसके अंतर्गत प्रतिदिन 24 लक्ष गायत्री जप होगा। यह क्रम दस वर्ष तक चलेगा।

(2) इस महापुरश्चरण के अंतर्गत 24000 व्यक्ति प्रतिदिन एक माला गायत्री महामंत्र का जप तथा एक युग निर्माण सत्संकल्प का पाठ किया करेंगे। यह एक माला जप और एक संकल्प पाठ करने वाले महापुरश्चरण में भागीदार कहे जावेंगे।

(3) दस भागीदारों की देख-भाल करने तथा उनका उत्तरदायित्व संभालने के लिये एक ‘ऋत्विज्’ नियुक्त होगा।

(4) ऋत्विज यह फार्म भर कर ‘गायत्री तपोभूमि मथुरा’ के पते पर भेजें। अपने भागीदारों के पूरे पते लिख दें। आरंभ में दस भागीदार न हो सकें तो 5 से भी आरंभ में किया जा सकता है। पीछे धीरे-धीरे संख्या बढ़ाते हुए 10 पूरे कर लें।

(5) यदि साधारण पत्र में इससे पूर्व भागीदारों की सूचना मथुरा भेजी जा चुकी है तो भी इस फार्म को भर कर भेजना चाहिए। हर ऋत्विज के आधार पर एक नया फार्म भरना चाहिए। इसी फार्म की नकल सादे कागज पर इसी साइज में बना कर आवश्यकतानुसार अधिक फार्म तैयार कर लेने चाहिए और उन्हें भर कर भेजना चाहिए।

(6) सर्वत्र अधिकाधिक भागीदार और ऋत्विज बनाने का प्रयत्न पूरे उत्साह के साथ किया जाय। अपने क्षेत्र में अधिक भागीदार बनाने की प्रतिस्पर्धा चलाई जाय। ताकि इस युग के इस महापुरश्चरण की ठीक तरह पूर्ति हो सके।


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