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Akhand Jyoti
Year 1978
Version 1
आत्म निर्माण से...
आत्म निर्माण से ही आत्म कल्याण संभव
February 1978
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Page Titles
अध्यात्म का एकांगी पक्ष अहितकर
आत्म निर्माण से ही आत्म कल्याण संभव
क्या ईश्वर सचमुच ही मर गया
दिव्य शक्तियाँ भी मनुष्य के हस्तगत होंगी
मानवी आस्था आस्तिकता पर निर्भर है
ज्ञान की सार्थकता रद्धा में है
अन्तःकरण में प्रेम संवेदना उभरे
संगठन तो बनें पर सज्जनों के हों
विश्वज्ञान कोष मस्तिष्क
व्यक्तिव की प्रौढ़ता और प्रखरता
मंत्र विद्या की अकूत शक्ति
दृष्टिकोण एवं जीवन क्रम में संतुलन का समन्वय
नियामक सत्ता से सम्बद्ध न रहें तो
समता और एकता अपनाएँ
जीवन का माधुर्य सहकारिता में है
अपनी उपयोगिता बढ़ाने में संलग्न रहें
हम ब्रह्माण्ड में अकेल हैं क्या
शरीर के साथ मित्रवत् व्यवहार करें
बुढ़ापे का भी अपना आनन्द है
मानसिक तनाव से बचा जा सकता है
वसंत पर्व पर नये गायत्री नगर का शिलान्यास
अपनों से अपनी बात- आगामी वर्ष के लिए १४ न्यूनतम कत्त्रव्यों का निर्धारण
मानस मंथन करो (कविता) -माया वर्मा
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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