बच्चों का निर्माण- परिवार को
प्रयोगशाला में
चरित्रवान माता- पिता ही सुसंस्कृत संतान बनाते हैं
अंग्रेजी में कहावत है- ' "" दि चाइल्ड इज ऐज ओल्ड ऐज हिज
एनसेस्टर्स ।। अर्थात् बच्चा उतना पुराना होता है जितना उसके पूर्वज ।। एक
बार संत ईसा के पास आई एक स्त्री ने प्रश्न किया- बच्चे की शिक्षा- दीक्षा
कब से प्रारंभ की जानी चाहिए? ईसा ने उत्तर दिया- गर्भ में आने के १ ० ०
वर्ष पहले से ।। स्त्री भौंचक्की रह गई, पर सत्य वही है जिसकी ओर संत ने
इंगित किया ।। सौ वर्ष पूर्व जिस बच्चे का अस्तित्व नहीं होता, उसकी जड़ तो
निश्चित ही होती है, चाहे वह उसके बाबा हों या परबाबा ।। उनकी मन : स्थिति,
उनके आचार, उनकी संस्कृति पिता पर आई और माता- पिता के विचार,
उनके रहन- सहन, आहार- विहार से ही बच्चे का निर्माण होता है ।। कल
जिस बच्चे को जन्म लेना है, उसकी भूमिका हम अपने में लिखा करते हैं ।।
यदि यह प्रस्तावना ही उत्कृष्ट न हुई तो बच्चा कैसे श्रेष्ठ बनेगा ? भगवान राम
जैसे महापुरुष का जन्म रघु, अज और दिलीप आदि पितामहों के तप की
परिणति थी, तो योगेश्वर कृषणा का जन्म देवकी और वसुदेव के