जीवन पथ

भूमिका

जीवन को जाने बिना, उद्देश्य को समझे बिना तथा समाज के हित में ही अपना हित है यह अहसास किए बिना किसी भी मनुष्य या समाज की सर्वागीण प्रगति नहीं हो सकती । 'जीवन पथ' पुस्तक के माध्यम से हम जीवन जीने की कला के सूत्रों को बड़ी सरलता से समझ पाने में सफल होते हैं। इस पुस्तक का मार्गदर्शन हमारे दैनिक जीवन की क्रिया-पद्धति का मार्गदर्शन है । हमें अकेले नहीं अपितु सबको साथ लेकर चलना है । मात्र अपना नहीं र्बाल्क सारे मानव समुदाय, परिकर एवं पर्यावरण का विकास भी दृष्टि में रखना है । यह स्पष्ट मार्गदर्शन इस पुस्तक से मिलता है । युगद्रष्टा पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जीवन भर इन्हीं व्यावहारिक पक्षों पर लिखने रहे एवं अध्यात्म को व्यावहारिक एवं विज्ञान सम्मत बना गए ।

सभ्यता एवं संस्कृति का जीवन में बड़ी सुन्दरता से समावेश कर एक उपयोगी एवं सार्थक जीवन जीया जा सकता है। आज की किशार व युवा पीढ़ी महामानवों के आदर्शों पर यदि चलने का प्रयास करे तो वह कुछ छोटे-छोटे सदगुणों को अपना जीवन लक्ष्य बनाकर जीवन सार्थक कर सकता है । किशोर, जो भारत के भावी नागरिक हैं, उन्हीं को इक्कीसवीं सदी का

Write Your Comments Here: