यह कुरीतियाँ मिट रही हैं, मिटेंगी

यह कुरीतियाँ मिट रही हैं, मिटेंगी अपव्यय एक स्पष्ट अनैतिकता है । जो व्यक्ति अपनी स्थिति से अधिक अनुपयुक्त कार्यों में खरच कर रहा होगा उसे अविवेकी कहा जाएगा । कुछ अविवेकी ऐसे भी होते हैं, जो एक सनक तक सीमित रहकर मनुष्य की मनोदशा को अस्त-व्यस्त करते रहते हैं । कुछ अविवेक ऐसे होते हैं जो सीधे भले ही अनैतिक न हों पर उनके परिणाम अनैतिक होते हैं । शराब पीना यों अपनी मरजी की अपने पैसे से खरीदी हुई वस्तु पीना मात्र एक साधारण-सी क्रिया है, उसमें दलील के लिए यह भी कहा जा सकता है कि अपनी जेब का पैसा चाहे जिस काम में खरच करने का अधिकार मनुष्य को है, फिर शराब के पीने में क्या बुराई ? पर थोड़ा गंभीरतापूर्वक विचार करने से स्पष्ट हो जाता है कि दलील थोथी है । शराब पीने के जो दुष्परिणाम होते हैं, उनसे शारीरिक मानसिक और सामाजिक परिस्थितियां लड़खड़ा जाती हैं । मनुष्य न करने लायक काम करने लगता है, न कहने लायक बातें कहने लगता है । अस्तु नशेबाजी को उसके दुष्परिणामों के कारण अवांछनीय ठहराया गया और उसका उपयोग हर धर्म ने निषिद्ध ठहराया । विवाहों में होने वाला अपव्यय यों अपने पैसे को फूँककर मनोरंजन करने के

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