अवांछनीय प्रचलनों को उलटने की आवश्यकता

धर्म क्या है ? विकृतियाँ कैसे पनपती हैं ? किसी विद्यालय में तीन छात्रों को उनके सदाचरण और उत्कृष्ट चरित्र के लिए पुरस्कृत किया गया । पुरस्कार में तीनों को सम्मिलित रूप से एक सिक्का दे दिया गया कि वे जाकर उसे आपस में बाँट लें । छात्रों में से एक भारतीय था दूसरा पारसी और तीसरा अँग्रेज । एक दूसरे की भाषा समझ पाने में असमर्थ थे । सिक्के का बँटवारा करने में समस्या खड़ी हुई । अँग्रेज लड़के ने अपनी भाषा में कहा- मुझे अपने हिस्से का 'वाटरमेलन' चाहिए । पारसी ने अपनी भाषा में कहा-'हन्दूवाना' होना और भारतीय लड़के की माँग थी कि मुझे 'तरबूज' मिलना चाहिए । एक दूसरे की भाषा से अपरिचित होने के कारण तीनों अपनी-अपनी माँग के लिए रट लगाते रहे । आपसी विवाद बढ़ता गया । तीनों की बातें मार्ग से गुजरने वाला एक ऐसा व्यक्ति सुन रहा था जो अंग्रेजी, पारसी तथा हिंदी तीनों ही भाषाओं का विद्वान था । उस व्यक्ति ने वह सिक्का अपने हाथ में ले लिया और बाजार से एक बड़ा तरबूज खरीदकर तीनों के सामने रख दिया । तीनों प्रसन्न थे कि उनकी मनचाही वस्तु मिल गई । पर अपनी इस अज्ञानता पर कि वस्तुत: तीनों की

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