प्रतिष्ठा का उच्चसोपान
आत्म- सम्मान प्राप्त कीजिए, इज्जतदार जीवन बिताइये ! "तुम कुत्ते हो" ऐसा कडुआ वचन यदि कोई कहे तो जिससे कहा गया है, वह लड़ने मरने को तैयार हो जाएगा। इसे अपनी बेइज्जती समझेगा और बदला लेने पर तुल जायगा। किसी को 'कुत्ता' कहना भारतीय विचारधारा के अनुसार एक गाली है, जिसे कोई स्वाभिमानी सहन नहीं कर सकता। क्या आपने कभी विचार किया है कि एक सीधे साधे निर्दोष जानवर की उपमा दे देने से इतनी चिढ़ क्यों उत्पन्न होती है? कुत्ते में वैसे कोई खास बुराई नहीं मालूम होती। जो रूखा- सूखा मिल जाता है, उसी में संतोष कर लेता है। रातभर जागकर कडी़ मेहनत की चौकीदारी करता है। किसी को सताता नहीं, मालिक से मुहब्बत करता है, इतने गुण होने के कारण ही लोग उसे खुशी के साथ पालते हैं। यदि अवगुण अधिक होते तो उसे कोई पास भी खडा़ नहीं होने देता। श्रंगाल, भेडि़या आदि भी कुत्ते जाति के और उसी रंग रूप के हैं, पर वे मनुष्य के लिए, लाभ दायक नहीं हैं, इसलिये कोई उन्हें पालने का साहस नहीं करता। कुत्ता निस्संदेह कोई उत्तमगुण रखता है, तभी उसे पाला जाता है।
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