परिवारों में सुसंस्कारिता का वातावरण ४१
वलि वैश्व का नन्हा- सा क्रिया- कृत्य भोजन बनाने वाली एक महिला एक मिनट समय में पाँच रत्ती सामग्री हवन करके पूरा कर देती है. , पर उस भावना से परिचित हर किसी को होना चाहिए ।। समय- समय पर वलि वैश्व की यज्ञ दर्शन की व्याख्या विवेचना होनी चाहिए और अपनी परंपरा में उस दर्शन की प्रमुखता रहने की स्मृति रहने की प्रेरणा मिलती रहनी चाहिए ।।
वलि वैश्व की पाँच आहुतियाँ पारिवारिक पंचशीलों के साथ अविछिन्न रूप से जुड़ी हुई है ।। पंचशील में (१) सुव्यवस्था (२) नियमितता (३) सहकारिता (४ )प्रगतिशीलता (५) शालीनता है ।। इनकी विवेचना अगले पृष्ठों में दी जा रही है ।। भोजन को पेट में अवस्थित वैश्वानर भगवान तक पहुँचाने से पूर्व हर सदस्य पाँच बार गायत्री मंत्र का मौन रूप से या उच्चारण पूर्वक पाठ कर लिया करे ।। यह भी मानसिक अग्निहोत्र एवं बलि वैश्व का ही प्रतीक हूँ ।
(३) सामूहिक प्रार्थना, आरती. सहगान
सामूहिक प्रार्थना का क्रम हर घर में चलना चाहिए ।। एकाकीपन का स्थान हर क्षेत्र में सामूहिकता को लेना चाहिए ।। मिल- जुलकर किये गये कार्य हर दृष्टि से अधिक प्रभावी और अधिक सफल होते है यह दृष्टि उपासना के संदर्भ में