बच्चे के व्यक्तित्व की सर्वान्नीण उन्नति के लिए उचित वातावरण और आवश्यक परिस्थितियाँ पैदा करना माता-पिता का सर्वोच्च कर्त्तव्य है क्योंकि बच्चों में जन्म से ही कुछ गुण-अवगुण विद्यमान होते हैं जिनके लिए उचित परिस्थितियाँ न मिलने पर उनके व्यक्तित्व में गलत छाप भी पड़ सकती है और उसी के अनुसार उनका व्यक्तित्व ढलता जाता है ।
बालक सबसे पहले घर के वातावरण से प्रभावित होता हूँ । घर एक, प्राथमिक पाठशाला होती है जिसमें माता और पिता उसके गुरू होते है । अपने अभिभावकों के जीवन का बालक पर बहुत गहरा असर पड़ता है । यदि माता-पिता का गृहस्थ जीवन सुखी नहीं है तो बच्चा कभी भी सुखी नहीं रह सकता है । यदि घर में हमेशा कलह क्लेश मची रहती है, माता-पिता की आपस में अनबन रहती है तो बालक पर इसका गलत प्रभाव पड़ता है और अपने भावी सामाजिक जीवन में असफल रहता है । जब घर में लड़ाई-झगड़ा लगा रहता है और बालक उस स्थिति को देखता है तो उसके मन में गृहस्थ जीवन के प्रति घृणा उत्पन्न हो जाती है । आपस में लड़ने-झगड़ने वाले माता-पिता बालक को एक अच्छा नागरिक नहीं बना सकते । अत: बच्चों को समाज का उत्तम नागरिक बनाने के लिए माता- पिता को उत्तम माता-पिता बनना चाहिए । क्योंकि जैसा बीज बोयेगे वैसा ही फल पैदा होगा । लड़ाई-झगड़े के अतिरिक्त कई और ऐसी बातें होती हैं जिनका बालक के ऊपर अदृश्य रूप से प्रभाव पड़ता है ।