आगे बढऩे की तैयारी

विश्व का प्रत्येक परमाणु गतिशील है । हर वस्तु आगे बढ़ती, विकसित होती है और अपनी यात्रा जारी रखती है । यह गतिशीलता सृष्टि का धर्म है । उस धर्म से प्रेरित होकर संपूर्ग जड़ चेतन पदार्थ को अपनी यात्रा जारी रखनी पड़ती है । मनुष्य भी इस नियम से बँधा हुआ है । जन्म से लेकर मृत्यु पर्यंत वह अपने जीवनक्रम को चलाता रहता है । इसके पश्चात भी वही क्रम जारी रहता है । इस अनिवार्य यात्रा को किस प्रकार पार करना चाहिए-इस विज्ञान को जानना हर बुद्धिमान के लिए आवश्यक है । लोहारों के लिए लोहारी का काम, हलवाई के लिए मिठाई बनाने का काम, किसान के लिए खेती का काम जानना जिस प्रकार आवश्यक है, उसी प्रकार यात्रा करने वाले के लिए रास्ता चलने का, मुसाफिरी का ज्ञान होना आवश्यक हए । हर व्यवस्थित काम को सुचारु रूप से करने के लिए पूर्व तैयारी की आवश्यकता होती है । महान कार्य पूरे तब होते है, जब उनको आरंभ करने से पूर्व ठीक प्रकार योजना बना ली जाती है । जीवन की यात्रा भी एक बहुत बड़ी योजना है, इसे पूरा करने के लिए पूर्व तैयारी किए बिना काम नहीं चल सकता । हमारा जीवन आगे बढ़ रहा है । यह यात्रा ठीक प्रकार सुव्यवस्थित रीति से उचित दिशा में हो, इसके लिए हमें पूर्व तैयारी करने की आवश्यकता है । इसी आवश्यकता की पूर्ति के लिए यह पुस्तक लिखी गई हें । पाठक, अपने मौलिक और आत्मिक साधनों को उचित रीति से बढ़ा सकें, इस कार्य की पूर्ति में यह पुस्तक सहायक होगी ऐसा हमारा विश्वास है ।

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