तिलस्मों से भरी सृष्टि एवं उसके अविज्ञात रहस्य !

अविज्ञात सृष्टि की अबुझ पहेलियाँ अविज्ञात की परिभाषा बड़ी कठिन है ।। एक तरीका तो यह है कि जो भी कुछ समझ में न आए जिसका तर्कसम्मत स्पष्टीकरण संभव न हो सके, उसे अविज्ञात की फाइल में बंद कर दिया जाए ।। दूसरी विधि यह है कि विभिन्न प्रकार के संयोगों, वैचित्र्यपूर्ण घटनाओं, मानवी काया एवं दृश्य प्रकृति की विलक्षणताओं को चमत्कार न कहकर उनका तर्कसम्मत विवेचन किया जाए एवं उनके मूल में कार्य कर रही अदृश्य- अचिंत्य सत्ता का जहाँ तक बुद्धि साथ दे, विवेचन किया जाए ।। ऋषियों की कार्य प्रणाली इसी दूसरे प्रकार की रही है ।। उन्होंने परोक्ष पर विशद अनुसंधान किया एवं उसके निष्कर्षों को आप्तवचनों के रूप में प्रस्तुत किया है ।। सृष्टि अत्यंत विशाल है ।। दृश्य- प्रकृति, जीव- जगत, वनस्पति- जगत एवं मानव- समुदाय के रूप में तो एक अंश भर ही देखा जाता है ।। ब्लैकहोल्स, पत्सार्स, क्वाजार्ज के समुच्चय से भरी ब्रह्मांडीय सत्ता अभी भी अविज्ञात के गर्त में है ।। धरती की टोह लेने कभी- कभी कुछ ब्रह्मांडीय शक्तियाँ चली आती हैं, वे भी एक रहस्य के रूप में उड़नतश्तरी (यू एफ. ओ) के नाम से जानी जाती हैं ।। उनके प्रकटीकरण का सिलसिला चलता रहता है, पर रहस्य

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