मन में असंख्य सामर्थ्यो का भंडार छुपा हुआ है । मन जीवन है मन ही सिद्धियों का साधन है, मन ही भगवान् है । मन का पूर्ण विकास ही एक दिन मनुष्य को अंतत: सिद्धियों, सामर्थ्यों का स्वामी बना देता है । पर उसके लिए गहन संयम, साधना और तपश्चर्या के बिना एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा जा सकता ।