प्रकृति की रचना की परिपूर्णता मानव के चमत्कारिक विकास का एक ऐसा तथ्यपूर्ण स्पष्टीकरण है,जो जन्-जीवन को अभिभूत कर देती है। प्रकृति की व्यवस्था अन्यतम है ।जड़ प्रकृति के भीतर चेतना की कर्मबद्ध व्यवस्था का ऐसा चरम विकास मौजूद है,जिसकी झलक पाकर आज का भौतिक विज्ञान यह मानने के लिए बाध्य हो गया है कि उसे संपूर्णता के एक अंश का भी परिपूर्ण स्पष्टीकरण नहीं हो पाया है और प्रकृति के बहुत से रहस्य आज भी अनजाने है।……..