अणु में विभु गागर में सागर

नदी-नद, सागर-तालाब सब कुछ इस शरीर में अमेरिका के जीव- वैज्ञानिक डॉ० इर्वन केमरान ने कुछ चूहे लेकर उन्हें एक विशेष बॉक्स में संकेत पाने पर भोजन के लिए प्रशिक्षित किया। चूहे कुछ ही दिन के अभ्यास से प्रशिक्षित हो गये। जब भी उन्हें टॉर्च का प्रकाश दिखाया जाता, वे तुरंत भागते हुए आते और बॉक्स में रखे भोजन को प्राप्त कर लेते। इसके बाद इन प्रशिक्षित चूहों को मारकर उनके मस्तिष्क का न्यूक्लिक एसिड निकाल लिया गया और फिर उसका इंजेक्शन बनाकर कुछ ऐसे चूहों को दिया गया, जिन्हें इस तरह का कोई प्रशिक्षण नहीं दिया गया था। उस समय डॉ० केमरान के आश्चर्य का ठिकाना न रहा, जब यह चूहे भी टॉर्च का प्रकाश देखते ही भोजन के लिये उस विशेष बॉक्स में बिना बताये ही प्रवेश कर गये। यही प्रयोग चूहों के अतिरिक्त दूसरे जंतुओं जैसे छछूँदर, गिलहरी आदि पर भी किया गया और वहाँ भी वही आश्चर्यजनक सत्य देखने को मिला। इससे यह तो निश्चित ही साबित हो गया कि ऐसी कोई चेतन शक्ति प्रकाश के अणुओं में ही है। डॉ० केमरान ने यह प्रयोग कुछ मनुष्यों पर भी 'मैग्नीशियम पैमुलिन' नामक दवा देकर किया। एक व्यक्ति जो ताश के पत्ते नहीं पहचान पाता था, इस तरह की औषधि का सेवन करने के बाद फिर पत्ते पहचानने लगा। एक मैकेनिक वृद्धावस्था के कारण मशीनों के पुर्जे भूल जाने लगा- इस तरह की औषधि से उसकी ज्ञान क्षमता में विकास हुआ। यह न्यूक्लिक एसिड क्या है? यह समझ लें तो बात स्पष्ट हो जायेगी। हमे पता है कि जिस प्रकार कोई भी पदार्थ का टुकड़ा छोटे- छोटे परमाणुओं से बना है, उसी तरह मनुष्य का शरीर जिन

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