उदारता और दूरदर्शिता

अपनी रुचि, इच्छा, मान्यता को ही दूसरे पर लादना, अपने गज से सबको नापना, अपनी ही बात को, अपने ही स्वार्थ को सदा ध्यान में रखना अनुदारता का चिन्ह है । अनुदारता पशुता का प्रतीक है । दूसरों के विचारों, तर्कों, स्वार्थों और उनकी परिस्थितियों को समझने के लिए उदारतापूर्वक प्रयत्न किया जाय तो अनेकों झगड़े सहज ही शान्त हो सकते हैं । उदारता में दूसरों को अपना बनाने का अद्भुत गुण है । जितने अंशों में दूसरों से एकता हो, सर्व प्रथम उस एकता को प्रेम और सहयोग का माध्यम बनाया जाय । मतभेद के प्रश्नों को पीछे के लिए रखा जाय और मन की शान्त अवस्था में उनको धीरे-धीरे सुलझाया जाय । सामाजिकता का यही नियम है । जिद्दी, दुराग्रही, घमण्डी, संकीर्ण भावना वाले मनुष्य गुत्थियों को सुलझा कर दूसरों का सहयोग पाने से प्राय: वंचित रहते हैं ।

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