पुनर्जन्म : एक ध्रुव सत्य

फ्रांसीसी बालक जान लुई कार्दियेक तीन माह का था तभी अग्रेजी बोलने लगा । अमेरिका का दो वर्षीय बालक जेम्स सिदिमछह विदेशी भाषायें धड़ल्ले से बोल सकता था । इग्लैंड के एक श्रमिक पुत्र जार्ज को चार वर्ष की आयु में कठिनतम गणित का प्रश्न हल करने में दो मिनट लगते थे । जो लोग पुनर्जन्म का अस्तित्व नही मानते, मनुष्य को एक चलता-फिरता पौधा भर मानते है, शरीर के साथ चेतना का उद्भव और मरण के साथ ही उसका अंत मानते हैं वे इन असमय उदय हुई प्रतिभाओं की विलक्षणताका कोई समाधान नहीं ढूँढ पायेंगे । वृक्ष-वनस्पति, पशु-पक्षी सभी अपने प्रगति क्रम से बढते हैं, उनकी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष विशेषताएँ समयानुसार उत्पन्न होती हैं । फिर मनुष्य के असमय ही इतना प्रतिभा सम्पन्न होने का और कोई कारण नहीं रह जाता कि उसने पूर्व जन्म में उन विशेषताओं का संचय किया हो और वे इस जन्म में जीव चेतना के साथ ही जुडी चली आई हों ।

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