विनिर्मित प्रज्ञापोठों, गठित प्रज्ञा मडलों, अगणित प्रभा पुत्रों और लाखों अखण्ड ज्योति परिजनों में से प्रत्येक को, इस पुस्तिका में प्रस्तुत प्रतिवेदन पढ़ना और अन्यों तक पहुँचाना चाहिए । प्रत्येक को यह समझना समझाया जाना चाहिए कि उनका इस महान परिर्वतन की बेला में कुछ विशेष कर्त्तव्य है । पंचसुत्री योजना के रूप में कुछ कर्त्तव्यों को कहीं दिनों अपनाया जाना चाहिए, शेष को समय-समय पर उनकी उभरती हुई श्रद्धा एवं तत्परता के आधार पर प्रस्तुत किया जाता रहेगा ।…