लिंकन की भी प्रथम धर्म- पत्नी फैशनेबुल थीं, वह
गृह- व्यवस्था, कविता तथा चित्रकला की शौकीन थी, केनेडी की
भी। दोनों लिबरल पार्टी के सदस्य थे। लिंकन १८६१ मैं प्रेसीडेंट
बने, कंनेडी १६६१ में। लिंकन के प्राणों की सर्वाधिक चिंता केनेडी
नामक समकालीन व्यक्ति को रहती थी, केनेडी के सुरक्षार्थ उनका
निजी सचिव लिंकन सर्वाधिक सतर्क रहता था ।। दोनों गोली से मारे
गए व शुक्रवार के ही दिन ।। लिंकन की मृत्यु के बाद उनका पद
संभाला दक्षिणी उपराष्ट्रपति जान्सन ने, और कंनेडी की मृत्यु के
बाद भी इस जिम्मेदारी को संभालने वाले का नाम जान्सन ही था ।।
वे दक्षिण से आए उपराष्ट्रपति थे ।।
क्या यह अद्भुत साम्य मात्र संयोग है ? या इसके पीछे
कोई सूक्ष्म आत्मिक विधान निहित है ?
अमरीकी पादरी जिमविशप की मान्यता है कि राष्ट्रपति
अब्राहम लिंकन ने ही राष्ट्रपति जान एफ० केनेडी के रूप में
पुनर्जन्म ग्रहण किया। उन्होंने दोनों के जीवन का तुलनात्मक
अध्ययन कर, इन तथ्यों की और लोगों का ध्यान खींचा है ।।
लिंकन व कंनेडी दोनों भी गहरी घार्मिक भावना भी व
बाइबिल के प्रेमी पाठक भी दोनों थे। दोनों विश्व-शांति के उपासक
थे। दोनों मैं ४० वर्ष की आयु में ही राष्ट्रपति बनने की इच्छा हुई।