अतिवादी अवांछनीयता, जो आज छाई दिखाई देती है और कुछ नहीं, अधिकांश लोगों द्वारा अचिंत्य चिन्तन और न करने योग्य क्रियाकृत्य अपना लिए जाने का ही प्रतिफल है। यदि यह बहुमत उलट जाए तो फिर परिस्थितियाँ बदलने में क्षणमात्र की भी देर नहीं होगी। ‘युगसन्धि महापुरश्चरण’ ऐसे ही महाप्रयोजन के लिए अवतरित हुई एक दैवी योजना है, जिसे सन् २००० तक सम्पन्न किया जाना है। प्रज्ञावतार की मत्स्यावतार की तरह बढ़ती यह प्रक्रिया एक ही संकल्प व लक्ष्य लिए हुए है- युगपरिवर्तन के लिए उपयुक्त वातावरण एवं परिवर्तन प्रस्तुत करना। दो करोड़ प्रतिभाओं को यजमान के रूप में शामिल कर एक अभूतपूर्व महापूर्णाहुति सम्पन्न हो, यह लक्ष्य रखा गया है।
प्रज्ञा परिवार जो ‘अखण्ड ज्योति’ पत्रिका के माध्यम से जुड़कर इतना विराट् बना है, इक्कीसवीं सदी के उत्कृष्ट आदर्शवादी मोर्चे पर जुझारू स्तर पर लड़ने वाले प्रचण्ड योद्धाओं का परिवार है। सभी के लिए यह महाकाल की चेतावनी है कि अब यह समय चूकने का है नहीं ।। ऐसे समय विशेष पर भगवान् स्वयं भक्तों व समर्पित शिष्यों के पास जाकर युगधर्म में प्रवृत्त होने की अपनी इच्छा व्यक्त करते हैं। हर जाग्रत, जीवन्त और प्राणवान् को उस महाअभियान से जुड़कर इस पुण्यवेला का लाभ उठाना चाहिए।