जीवन और उसकी परिभाषा

June 1977

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

जीवन क्या है? उसके स्वरूप को समझा जाना चाहिए और उसके साथ जुड़े हुए तथ्यों को स्वीकार किया जाना चाहिए, भले ही वे कठोर और अप्रिय ही प्रतीत क्यों न होते हों। जीवन एक चुनौती है-एक संग्राम है और एक जोखिम है उसे इसी रूप में अंगीकार करने के अतिरिक्त और कोई चारा नहीं। जीवन एक रहस्य है, तिलस्म है, भूल-भुलैया और गोरखधन्धा है। गम्भीरता और सतर्कता के आधार पर ही उसकी तह तक पहुँचा जा सकता है और भ्रान्तियों के कारण उत्पन्न होने वाले खतरों से बचा जा सकता है। जीवन कर्तव्य के रूप में अत्यन्त भारी किन्तु अभिनेता की तरह हँसने-हँसाने वाला- हलका फुलका रंग मंच भी है।

जीवन एक गीत है जिसे पंचम स्वर में गाया जा सकता है। जीवन एक स्वप्न है जिसमें अपने को खोया जा सके जो भरपूर आनन्द का रसास्वादन किया जा सकता है। जीवन अवसर है जिसे गँवा देने पर सब कुछ हाथ से गुम जाता है। जीवन एक प्रतिज्ञा है- यात्रा है और कला है। इसको किस प्रकार सफल बनाया जा सकता है जिसने इसे जान लिया और मान लिया, समझना चाहिए कि वह सच्चा रत्न पारखी और उपलब्ध विभूतियों का सदुपयोग कर सकने वाला भाग्यशाली है। जीवन सौन्दर्य है, जीवन प्रेम है, जीवन वह सब कुछ है जो नियन्ता की इस सुविस्तृत सृष्टि में सर्वोत्तम कहा जा सके।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles






Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118