युवा क्रांति पथ

‘युवा क्रान्ति पथ’ पर चलकर राष्ट्रीय जीवन में महापरिवर्तन ला सकते हैं। पर इसकी शुरुआत उन्हें अपने से करनी होगी। अपने अन्तस् में कहीं छुपी- दबी क्रान्ति की चिंगारियों को फिर से दहकाना होगा। व्यवस्थाएँ बदल सकती हैं, विवशताएँ मिट सकती हैं, पर तब जब युवा चेतना में दबी पड़ी क्रान्ति की चिनगारियाँ महाज्वालाएँ बनें। इनकी विस्फोटक गूंज पूरे राष्ट्र में ध्वनित हो। इनके प्रकाश व ताप को देखकर विश्व कह उठे- युवा भारत जाग उठा है। दुनिया की कोई शक्ति और उसके द्वारा खड़े किए जाने वाले अवरोध अब उसकी राह नहीं रोक सकते।
    इस पुस्तक की प्रत्येक पंक्ति लिखने वाले की अनुभूति में डूबी है। लिखते समय कई अतीत बन चुकी किशोर वय और अभी कुछ ही दूर पीछे छूटी युवावस्था बार- बार चमकी है। युगऋषि परम पूज्य गुरुदेव की कृपा किरणें बार- बार अन्तःकरण में क्रान्तिबीज बनकर फूटी हैं।
—डॉ० प्रणव पण्ड्या

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