जिन्दगी को ठीक तरह से जीने के लिए एक ऐसे साथी की आवश्यक्ता रहती है जो पूरे रास्ते हमारे साथ रहे, प्यार करे , सलाह दे और सहायता की शक्ति तथा भावना दोनों से हीं सम्पन्न हो । ऐसा साथी मिल जाने पर जिन्दगी की लम्बी मजिल बड़ी हंसी खुशी और सुविधा के साथ पूरी हो जाटी है । अकेले चलने में यह लम्बा रास्ता भारी हो जाता है और कठिन प्रतीत होता है ऐसा सबसे उपयुक्त साथी जों निरंतर, मित्र, सखा, सेवक, गुरु सहायक की तरह हर घडी प्रस्तुत रहे और बदले में कुछ भी प्रत्युपकारा न मांगे, केवल एक ईश्वर को जीवन का सहचर बना लेने से भक्ति इतनी मंगलमय हो जाती है कि धरती ही ईथर के स्वर्ग लोक जैसी आनन्दयुक्त प्रतीत होने लगती है ।