स्रष्टा का अस्तित्व स्रष्टि के कण-कण से प्रमाणित

सामान्यतया यह माना जाता है कि वैज्ञानिक समुदाय नास्तिक होता है, वह ईश्वर में कदापि विश्वास नहीं करता ।। किंतु इसके विपरीत एक पाश्चात्य लेखक ने अपने अनुभव व चर्चा- परामर्श के निष्कर्षों के आधार पर धारणा बनाई है कि वैज्ञानिक प्रकारांतर से ईश्वरीय सत्ता में विश्वास रखते हैं ।। साइंस डाइजेस्ट में प्रकाशित लेख में विद्वान डॉ कॉर्ल जुस्टांग ने लिखा है कि संसार का हर परमाणु एक निर्धारित नियम व्यवस्थानुसार कार्य करता है ।। यदि इसमें तनिक भी व्यतिक्रम या अनुशासनहीनता दृष्टिगोचर होने लगे तो यह विराट ब्रह्मांड एक क्षण भी अपने वर्तमान अस्तित्व को नहीं रख पाएगा ।। यदि ऐसा होता तो एक कण के विस्फोट से अनंत प्रकृति में आग लग जाती और यह संसार अग्नि की लपटों में घिरा एक तप्त पिंड भर होता ।। नियामक विधान किसी चेतन व्यष्टि सत्ता का अस्तित्व में होना प्रमाणित करता है ।। हमारे जीवन का आधार सूर्य है ।। वह १० करोड़ ६० लाख मील की दूरी से अपनी प्रकाश- किरणें भेजता है जो ८ मिनट में पृथ्वी तक पहुँचती हैं ।। दिनभर में यहाँ के वातावरण में इतनी सुविधाएँ एकत्र हो जाती हैं कि रात आसानी से कट जाती है ।। दिन- रात के इस क्रम में

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