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शिष्य संजीवनी
शिष्य संजीवनी
देकर भी करता मन, दे दें कुछ और अभी
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अनुक्रमनिका
अनुभव के अक्षर
सबसे पहले शिष्य अपनी महत्त्वाकांक्षा छोड़े
गुरु चेतना के प्रकाश में स्वयं को परखें
सभी में गुरु ही है समाया
देकर भी करता मन, दे दें कुछ और अभी
गुरु चेतना में समाने की साहसपूर्ण इच्छा
स्वयं को स्वामी ही सच्चा स्वामी
हों, सदगुरु की चेतना से एकाकार
जैविक प्रवृत्तियों को बदल देती है सदगुरु की चेतना
एक उलटबाँसी काटने के बाद बोने की तैयारी
सदगुरु संग बनें साधना-समर के साक्षी
गुरु के स्वर को हृदय के संगीत में सुनें
सदगुरु से संवाद की स्थिति कैसे बनें
समग्र जीवन का सम्मान करना सीखें
अन्तरात्मा का सम्मान करना सीखें
संवाद की पहली शर्त-वासना से मुक्ति
व्यवहार शुद्धि, विचारशुद्धि, संस्कारशुद्धि
परमशान्ति की भावदशा
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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