उपवास के अनेक लाभ
आयुर्वेद में उल्लेख है- अग्नि आहार को पचाती है और उपवास दोषों को पचाता अर्थात नष्ट करता है ।। निश्चय ही अनाहार उत्तमोत्तम औषधि है और अकेला बिना किसी खतरे के रोग दूर कर देता है ।। इस बात का पता हमें अमेरिका के सुप्रसिद्ध डॉक्टर चार्ल्स सी.हक्सले की चिकित्सा पद्धति से चलता है ।। उनकी उपवास पद्धति से कठिन रोग अच्छे हो जाते हैं ।। इस प्रकार अच्छे हुए रोगियों में से कुछ के पत्रों का अंश नीचे उद्धृत किया जाता है-
मि.हेनरी पीटर का पत्र
यहाँ जलोदर, गठिया, सिर दर्द, पेट और अन्तड़ियों के दर्द, दमा और कमजोरी के बीस रोग 45- 42 और इनसे भी कम दिनों का उपवास करने से अच्छे हो गए हैं ।।
मि.लियोनाड थ्रोस का पत्र
मेरा जलोदर और दमा के रोग पचास दिन तक उपवास करने से बिलकुल अच्छे हो गये हैं । मुझे किसी प्रकार की औषधि नहीं खानी पड़ी ।। पहले मुझे औषधियों ने भी कुछ लाभ न पहुँचाया था ।।
मि.ए.स्टेला एफ. कुनझेले का पत्र
मेरे दाहिने अंग को लकवा मार गया था जो औषधोपचार से अच्छा न हुआ तथा मेरा स्वास्थ्य बिगड़ गया, परन्तु डॉ.ट्यूई के प्राकृतिक और सत्य नियम स्वीकार करने से और पैंतालीस दिनों तक उपवास करने से, बिना किसी औषधि के मेरा असाध्य रोग अच्छा हो गया ।।
मि.एस.टी. पीटर का पत्र
मुझे पच्चीस वर्ष की आयु में दमे का रोग प्रारम्भ हुआ था ।। मैंने भूखे रहकर चालीस दिन तक उपवास किया और मेरा रोग अच्छा हो गया ।। मैं बहुत खाने वाला था, परन्तु जब से मैंने प्रातः काल का कलेवा बन्द किया, और स्वाभाविक भूख लगने का प्राकृतिक नियम स्वीकार किया, तब से मेरा स्वास्थ्य बहुत सुधर गया है और दमा बिलकुल हट गया है ।।
मि. औलिवर एन. एण्डर्सन का पत्र
मुझे गला, फेफड़ों और छाती तथा मूत्र पिण्ड के रोग सब एक साथ थे ।। जीवन की आशा नहीं थी ।। बहुत दिनों तक औषधोपचार करने पर डॉक्टरों ने मेरी आशा छोड़ दी थी परन्तु डॉ. ड्यूई के सत्य और प्राकृतिक नियमों का पालन करने में मुझे आराम हो गया ।।
मिसेज मेडील्टा एल. एम्ब्री का पत्र
मेरी पाँच वर्ष की पुत्री बहुत ही चिड़चिड़े स्वभाव की थी ।। डॉ. ड्यूई के प्राकृतिक उपवास के नियमों से यह अच्छी हो गई है और हम छः व्यक्तियों का स्वास्थ्य भी उन्हीं नियमों का पालन करने से अच्छा हो गया है ।।
मिसेज एम.आर. हार्नन लिखती हैं, मेरे जिगर, गुर्दों और आमाशय में रोग था ।। मैंने प्राकृतिक उपवास के नियम स्वीकार किये ।। प्रातःकाल का भोजन ब्रेक फास्ट छोड़ दिया तथा केवल दोपहर की स्वाभाविक भूख लगने पर, भोजन खाने की आदत डाली ।। उस विधान से मैं बिना औषधि के अच्छी हो गई हूँ ।। मेरी आयु लगभग 68 वर्ष की है किन्तु अब मैं 10 वर्ष से अधिक स्वास्थ्य हूँ ।।
मि.सी.सी. शोल्टर लिखते हैं- मेरा शरीर बहुत भद्दा था मेरा वजन 3 मन 24 पौंड था परन्तु जब से मैंने स्वास्थ्य के नये और सत्य नियम जीवन में ढाले, तब से दो वर्षों में ही मेरा वजन 1 मन उतर गया है और पहले की अपेक्षा मेरी तबियत अब बहुत अच्छी रहती है ।।
(जीवेम शरदः शतम् पृ. 6.1)