समय के साथ बदलती परिस्थितियाँ नित नई चुनौतियां प्रस्तुत करती हैं । जटिलताओं के मकड़जाल में छटपटाती जीवित जीवनियाँ मानसिक तनाव, सांस्कृतिक विलम्बना और अपूर्णता से छुटकारा पाना चाहती है। सुविधाओं की ओर अंधी दौड़ के प्रतिभागी मृग मारीचिका के चक्रव्यूह में फँस जाते हैं । ऐसे में हताशा कुंठा और निराशा का दावानल अपना प्रभाव दिखाकर प्रतिभाओं पर कुठाराघात करने लगते हैं । असामान्य परिस्थितियों के धरातल पर बहुआयामी जीवन को जीने की व्यवहारिक कला सीख कर यथार्थ के समीप पहुंचना सहज नहीं है । अखिल विश्व गायत्री परिवार के सस्थापक पं श्रीराम शर्मा आचार्य की मानवीय जीवन लीला वर्तमान समय में प्रेरणा पुंज बनकर विश्व के करोड़ों लोगों के आत्म विश्वास को पुष्ट करके सतुंष्टि के मार्ग प्रशस्त कर रही है । समाज के सभी पक्षों को एक साथ आत्मसात करना असम्भव नहीं तो कठिन अवश्य है।