जड़ीबूटियों द्वारा चिकित्सा

विभिन्न व्याधियों में अनुपान, पथ्य एवं अपथ्य

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किन व्याधियों में क्या आहार लिया जाए व किन-किन वस्तुओं का निषेध किया जाए, इसकी समुचित जानकारी सभी को हो इसके लिए यहाँ प्रारंभ में दी गयी सूची के अनुसार व्याधियों के पथ्यापथ्य अनुपान दिए जा रहे हैं ।

(1) उर्ध्वगत पाचन संस्थान की व्याधियाँ-पथ्य-गेहूँ की रोटी, मूँग, दलिया, जौ, लौकी, परवल, करेला, तोरई, टिण्डा, दुग्ध, मीठा, दही, सौंफ, धनिया । अपथ्य-चना, अरहर, उड़द, खट्टे, कड़वे पदार्थ, चाय, मादक पदार्थ, मिर्च-मसाले, अधिक द्रव्य पेय, पुराना गुड़, तली वस्तुएँ, मूली, कटहल । अनुपान-शीतल जल, दुग्ध, फाण्ट मधु ।

(2) अधोगत पाचन संस्थान की व्याधियाँ- पथ्य-दलिया, खिचड़ी, गेहूँ, मसूर, हरी सब्जियाँ, दूध, दही, छाछ, नींबू, केला, पपीता, छिलकेदार सब्जियाँ । अपथ्य-तेज मिर्च-मसाले, खटाई, चीनी की बनी मिठाइयाँ, तली वस्तुएँ, चाय आदि । अनुपान-उष्ण जल फाण्ट, मधु ।

(3) हृदय एवं रक्तवाही संस्थान- पथ्य-मधुर शीतल पदार्थ, मीठा दूध-दही, गेहूँ की रोटी, दलिया, मूँग, मसूर, चना,, सभी हरी सब्जियाँ, नींबू, अमरुद, गुड़ । अपथ्य-अत्यधिक गर्म भोजन, गर्म पेय, तेज मिर्च, मसाले, कड़वे तीखे पदार्थ, अत्यधिक परिश्रम, थकान, अधिक चिंतन आदि देर से पचने वाली भारी पदार्थों का सेवन, उड़द, कटहल, तली वस्तुएँ, रात्रि को दुग्ध, रात्रि जागरण, भोजन के बाद शारीरिक-मानसिक कार्य, अत्यधिक शीतल जल से स्नान, नमक । अनुपान-शीतल जल, मधु, फाण्ट, कल्क ।

(4) श्वसन संस्थान- पथ्य-गेहूँ, चना, लौकी, हरी सब्जी, दुग्ध (काली मिर्च के साथ), हल्दी, खुली वायु में भ्रमण । अपथ्य-चावल, दही, खटाई, अचार, चिकनी तली वस्तुएँ, पूरी, पराँठे, अधिक व्यायाम, धूल, धुआँ, अत्यधिक श्रम, रात्रि जागरण, दिन में अधिक सोना, अधिक शीतल भोजन, अधिक वजन उठाना, मल मूत्र के वेग को रोकना । अनुपान- उष्ण जल फाण्ट, मधु ।

(5) केन्द्रीय स्नायु संस्थान-पथ्य-दुग्ध, दही, गेहूँ की रोटी, दलिया, स्नेहयुक्त मूँग की दाल, मसूर की दाल, सभी हरी सब्जियाँ, सौंफ, धनिया, तेलमर्दन, भ्रमण । अपथ्य-गरिष्ठ दुष्पाच्य वस्तुएँ यथा उड़द, कटहल, बैंगन, चावल, खट्टा दही, मट्ठा, तली वस्तुएँ, चाय-पित्तकारक उष्ण वस्तुएँ, रात्रि जागरण, सुबह देर तक सोना, अधिक चिंतन । अनुपान-दुग्ध, मिश्री, फाण्ट ।

(6) वात-नाड़ी संस्थान- पथ्य-गेहूँ, चना, मूँग, मसूर, अरहर, हरी सब्जियाँ, केला, अमरूद, मुनक्का, खजूर, शीत ऋतु में गर्म पानी से स्नान, तेल मर्दन, भ्रमण, हल्का व्यायाम, दुग्ध । अपथ्य-उड़द, बैंगन, कद्दू, घुइयाँ, खट्टा दही, तले पदार्थ, आलू, चावल, शीतल जल से स्नान, रात्रि जागरण, शीत तथा वसंत में दिन में सोना । अनुपान-ठण्डा जल, मधु, दुग्ध ।

(7) नाड़ी शोधक संस्थान- पथ्य-गेहूँ व बेसन की रोटी, गौ घृत, दुग्ध, मूँग, लौकी, करेला, परवल, हरिद्रा, बथुआ । अपथ्य-चावल, नमक, चीनी, शलजम, मूली, खट्टे विदाहकारक पदार्थ, तेज मिर्च-मसाले, आलू, अत्यधिक श्रम, दूध, खिचड़ी, दही, मट्ठा । अनुपान-शीतल जल, उष्ण जल, कल्क ।

(8) प्रति संक्रमण-पथ्य-उबालकर ठण्डा जल, काली मिर्च, हरिद्रा, हरा पोदीना, ताजा शुद्ध भोजन, हरी सब्जियों की अधिकता । अपथ्य-गंदा जल, बासी भोजन, बाजर की बनी मिठाइयाँ, अत्यधिक आहर, गरिष्ठ व तली चीजें । अनुपान-उबालकर ठण्डा किया जल, मधु के साथ ।

(9) जननेन्द्रिय मूत्रवाही संस्थान- पथ्य- गेहूँ की रोटी, दलिया, खिचड़ी, हरी सब्जी (पालक को छोड़कर), मूँग, कुल्थी, पत्ता गोभी, गौ दुग्ध, मीठा दही, पुनर्नवा की सब्जी, गन्ने का रस, खजूर धनिया । अपथ्य-उड़द, चना, तली वस्तुएँ, तीक्ष्ण पदार्थ, अधिक व्यायाम, अधिक गुड़ व चीनी, मिर्च-खटाई, टमाटर, पालक, अधिक नमक । अनुपान-शीतल जल, दुग्ध, फाण्ट, मधु ।

(10) रसायन बलवर्धन- पथ्य- गेहूँ, दलिया, मूँग, मसूर, अरहर, उड़द, हरी सब्जियाँ, आम, केला, अमरूद, छुहारा, गौ दुग्ध, मीठा दही, हल्का व्यायाम, प्रातः भ्रमण, तेल मर्दन । अपथ्य-तेल, खटाई, मिर्च, तेज धूप में कार्य, रात्रि में देर से सोना, मल मूत्रादि वेगों को रोकना, भोजन के तुरन्त बाद कार्य । अनुपान-गौ दुग्ध, मिश्री ।


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