गुरु नानक देव

गुरू नानक के सम्बन्ध में एक बहुत मशहूर किस्सा यह है कि जब वे हरिद्वार में हरि की पौडी पर स्नान करने गए तो उन्होंने देखा कि अनेक व्यक्ति पूर्व की तरफ मुँह करके सूर्य को जल चढ़ा रहे हैं। यह देखकर नानक जी ने अपना मुँह पश्चिम की तरफ कर लिया और उसी तरफ लोटा में जल भरकर डालने लगे। लोगों ने समझा कि यह साधु दिशा का ज्ञान न होने से उल्टी तरफ जल दे रहा है, इसलिए कहने लगे- ‘‘साधु बाबा ! पूर्व तो इधर है, आप पश्चिम में जल क्यों दे रहेहैं?’’ नानक बोले- ‘‘मेरा गाँव पश्चिम की तरफ है और वहीं पर मेरे खेत हैं। इसलिए मैं इसी तरफ मुँह करके अपने खेतों में जल दे रहा हूँ।’’लोग उनकी नासमझी पर हँसने लगे कि ‘‘वाह ! इतनी दूर से आप अपने खेतों को सींचना चाहते हैं! नानक बोले- "भाइयों अगर आप का दिया हुआ जल आकाश में करोड़ों मील दूर स्थित सूर्य और पितृ- लोक तक पहुँच सकता है तो मैं आशा करता हूँ कि मेरा दिया हुआ जल भी मेरे खेतों में पहुँच जाएगा। क्योंकि वे तो यहाँ से दो सौ कोस से भी कम हैं।" सूर्य को जल देने वालों को अपनी गलती कुछ अनुभव हुई, पर परंपरा को इतने सहज में कौन तोड़ सकता है?


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