संतान की संख्या नहीं, स्तर बढा़एँ

संतान की संख्या न बढ़ाइए बढ़ती आजादी चढ़ती समस्याएँ इस समय संसार की जनसंख्या लगभग सात अरब बताई जाती है। वृद्धि का औसत ५ करोड़ वार्षिक प्रकट किया जाता है ।। इस हिसाब से अगले १ ० ० वर्षों में लगभग इतनी ही जनसंख्या और तैयार हो जाएँगी ।। तब इस पृथ्वी के निवासियों की समस्याएँ कितनी गंभीर हो जाएँगी, इसका अनुमान भिन्न-भिन्न विद्वानों, समितियों एवं जनसंख्या विशेषज्ञों ने भिन्न-भिन्न प्रकार से किया है ।। ऐलिनाय विश्वविद्यालय के भीतिकशास्त्री प्रो० हीजबान फोस्टेर का कथन है- शुक्रवार १३ नवंबर, सन् २०२६ को मनुष्य जाति का अंत हो जाएगा ।। इस दिन जनसंख्या की वृद्धि अपनी चरम भीमा पर पहुँच गई होगी ।। प्रत्येक व्यक्ति के हिस्से में एक वर्ग फुट जमीन आवेगी, जो मुश्किल से खड़े होने भर के लिए पर्याप्त होगी और तब लोग आपस में लड़- झगड़कर भुखमरी, अकाल और युद्ध के कारण अपने आप नष्ट हो जाएँगे । केलिफोर्निया औद्योगिक संस्थान के डॉक्टर जेम्स बोनर ने एक रिपोर्ट में लिखा है- ' 'विश्व की आबादी प्रति वर्ष पाँच करोड़ के हिसाब से बढ़ रही है ।। यदि यही गति चलती रही और इसे रोका न गया तो कुछ दिन में ही वह स्थिति आ जाएगी कि इस लंबी- चौड़ी धरती पर पैर रखने की भी जगह न रहेगी ।। है माल्थस ने जनसंख्या एवं खाद्योत्पादन के आँकडों में तुलना करते हुए लिखा है- ' "" प्रजा की वृद्धि १ ,, २, ४, ८, १ ६, ३ २, ६४, १२८, २५६ और खाद्य- सामग्री १, २, ३, ४, ५, ६, ७, ८, ९ के हिसाब से बढ़ती है ।। प्रजा की वृद्धि न रोकी जाए तो वह प्रत्येक

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