आज सर्वत्र धन का अभाव और दरिद्रता का साम्राज्य दिखाई दे रहा है । जहाँ
देखिए वहाँ गरीबी और बेकारी दिखाई पड़ती है, पैसे की हर जगह चाह है,
परंतु उसकी प्राप्ति नहीं होती । बिना धनके मनुष्य का विकास रुक जाता है;
उसकी उमंगें कुचल जाती हैं और नाना प्रकार के कष्टों का सामना करना पड़ता
है । पैसे की समस्या आज प्रधान रूप से समाज के सामने उपस्थित है ।समय
की अस्थिरता और राजनीतिक दाँव-पेंच तो इसकाकारण हैं ही, पर सबसे बड़ा
कारण लोगों की व्यक्तिगत आयोग्यता है । बुद्धिमान मनुष्य बुरे समय में भी
सुख से रहते हैं और समृद्धि इकट्ठी कर लेते हैं । लक्ष्मी उद्योगी पुरुष की
दासी है, वह अपने रहने योग्य स्थान जहाँ देखती है, वहाँ अपने आप चली जाती
है । इस पुस्तक में किसी व्यापार विशेष की गुप्त विधियाँ नहीं बताई गई हैं
वरन् उनके गुणों पर प्रकाश डाला है, जिनके होने से बेकार आदमी काम पर लग
सकते हैं; काम पर लगे हुए उन्नति कर सकते हैं । जो लोग किसी मंत्र से विपुल
संपत्ति प्राप्त करने का विधान इस पुस्तक में ढूढेंगे, उन्हें निराशा ही
मिलेगी । हाँ उन लोगोंलिए इसमें पर्याप्त मसाला है, जो यह जानना चाहते हैं
कि पिछले उन्नतिशील पुरुष किस मार्ग का अवलंबन करके उन्नति के शिखर तक
पहुँचे हैं! हमारा विश्वास है कि कर्तव्य शील नवयुवकों को इससे अपना पथ
निर्माण करने में पर्याप्त सहायता मिलेगी ।