युग यज्ञ पद्धति

जय घोष

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>
                      जय घोष

 प्रेरणा- जिनकी कृपा से ही हम सबका जीवन चल रहा है, उनकी जय-जयकार करें। मातृ-भूमि के प्रति अपना कर्त्तव्य याद करें। विश्व मानव के कल्याण की कामना करें। जो मिशन हमारे-आपके जीवन को अज्ञान के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाने के लिए निरन्तर प्रयास कर रहा है, उसके निर्माणकारी सिद्धांतों व मान्यताओं के प्रति अपनी निष्ठा को अभिव्यक्त करें तथा उसकी सफलता के लिए अपनी मंगल कामना का घोष करें।

गायत्री माता की - जय। यज्ञ भगवान् की- जय।
वेद भगवान् की- जय। भारतीय संस्कृति की- जय।
भारत माता की- जय।
प0 पू0 गुरुदेव की- जय। वंदनीया माता जी की- जय।
एक बनेंगे-नेक बनेंगे।
हम सुधरेंगे-युग सुधरेगा। हम बदलेंगे-युग बदलेगा।
ज्ञान-यज्ञ की ज्योति जलाने- हम घर-घर में जायेंगे।
नया समाज बनायेंगे- नया जमाना लायेंगे।
जन्म जहां पर-हमने पाया अन्न जहां का-हमने खाया।
वस्त्र जहां के-हमने पहने ज्ञान जहां से-हमने पाया।
वह है प्यारा- देश हमारा।
देश की रक्षा कौन करेगा- हम करेंगे-हम करेंगे।
मानव मात्र-एक समान नर और नारी-एक समान।
जाति वंश सब-एक समान                              
धर्म की-जय हो।
 धर्म का-नाश हो।
 प्राणियों में-सद्भावना हो
 विश्व का-कल्याण हो।
 सावधान! युग बदल रहा है
।सावधान। नया युग आ रहा है।
 हमारी युग निर्माण योजना- सफल हो, सफल हो, सफल हो।
हमारा युग निर्माण सत्संकल्प- पूर्ण हो, पूर्ण हो, पूर्ण हो।
इक्कीसवीं सदी- उज्ज्वल भविष्य।
 वन्दे- वेद मातरम्।
<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:







Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118