प्रेरणा- मृत्युरूप बंधनों से छुड़ाने वाले एवं अमृततुल्य सूत्रों से जोड़ने वाले भगवान महाकाल हैं। उसने अवांछनीयताएं दूर करने एवं उज्ज्वल भविष्य प्राप्त करने की प्रार्थना करते हुए महामृत्युंजय मंत्र से आहुतियां समर्पित की जा रही हैं।
क्रिया एवं भावना- सभी याजक ध्यान मुद्रा में बैठें, भगवान् महाकाल का ध्यान करते हुए भावना करें कि वे हमारी क्षुद्रता को महानता में, संकीर्णता को उदारता में बदल रहे हैं।
(महामृत्युंजय मंत्र से समयानुसार 3 या 5 आहुतियां समर्पित करें।)
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे, सुगन्धिम्पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान्, मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् स्वाहा ।।
इदं महामृत्युंजयाय इदं न मम ।।