अमृत वचन जीवन के सिद्ध सूत्र

युग परिवर्तन

<<   |   <   | |   >   |   >>
युग परिवर्तन

देवियो, भाइयो!
    थोड़ी सी बातें ऐसी, जो आपको गाँठ बाँध करके रखनी चाहिए और कभी भूलना नहीं चाहिये। इसको आप गाँठ बाँध करके रखना, कभी भूलना मत। एक बात मुझे आपसे ये कहनी थी, आप एक विशेष उद्देश्य को लेकर के, विशेष प्रयोजन के लिये, इस विशेष समय पर पैदा हुए हैं। ये युग के परिवर्तन की वेला है। आपको दिखाई तो नहीं पड़ता, पर मैं आपको कह सकता हूँ और मुझे कहना चाहिये। आप जिस समय में पैदा हुए हैं, ये साधारण समय नहीं है, असाधारण समय है। इस समय में युग तेजी के साथ में बदल रहा है। आपने देखा नहीं, किस तरीके से परिवर्तन विश्व की समस्याओं में बदलते हुए जा रहे हैं? विज्ञान की प्रगति को आप देख नहीं रहे क्या? ऐसी-ऐसी चीजें बनती हुई चली जा रही हैं। एक किरण-एक्स रे के तरीके से, एक्स-रे की किरण फेंकी जाती है। किरण फेंकी जाय, न गैस फेंकने की जरूरत है, न कुछ फेंकने की जरूरत है, सारे का सारा इलाका जो मनुष्य रह रहा है, वहाँ बैठे के बैठे रह जायेंगे, उठे के उठे रह जायेंगे, चलने-फिरने के लिये कोई मौका नहीं आयेगा। ऐसे-ऐसे वैज्ञानिक हथियार तैयार हो रहे हैं, जो दुनिया का सफाया करना हो तो बहुत जल्दी सफाया हो सकता है। विनाश की दिशा में विज्ञान के बढ़ते हुए चरण जिस तेजी से बढ़ रहे हैं, अगर चाहे तो एक खराब दिमाग का मनुष्य सारी दुनिया को इस सुन्दर वाले भूमण्डल को, जिसको बनाने में लाखों वर्षों तक मनुष्य को श्रम करना पड़ा, इसका सफाया किया जा सकता है। आज ऐसा वक्त है। इन्सान जितना घटिया होता चला जाता है, उतना घटिया आदमी पहले कभी नहीं हुआ था।

    दुनिया के पर्दे में, इतिहास ये बताता है कि मनुष्य इतना घटिया आदमी कभी नहीं हुआ। आदमी समझदारी के हिसाब से बढ़ रहा है, विद्या उसके पास ज्यादा आ रही है, समझदारी उसके पास ज्यादा आ रही है, पैसा उसके पास ज्यादा आ रहा है, अच्छे मकान ज्यादा आ रहे हैं, सब चीज ज्यादा आ रही है, पर ईमान के हिसाब से और दृष्टिकोण के हिसाब से आदमी इतना कमजोर, इतना घटिया, इतना स्वार्थी, इतना चालाक, इतना बेईमान, इतना कृपण, इतना ठग होता हुआ चला जा रहा है, कि मुझे शक है कि आदमी की यही ठगी, यही कृपणता और यही स्वार्थपरता, जो आज हमारे और आपके ऊपर हावी हो गई है। इसी हिसाब से, इसी क्रम से, चाल से चली तो एक आदमी, दूसरे आदमी को जिंदा निगल जायेगा। आदमी को अपनी छाया पर विश्वास नहीं रहेगा कि ये मेरी छाया है कि नहीं और ये मेरी छाया मेरी सहायता करेगी कि नहीं। आज ऐसी ही विचित्र स्थिति है बेटे! हम कुछ कह नहीं सकते। जैसी दुनिया की विचित्र स्थिति है, भयानकता, आज हमारे सामने खड़ी है। युग का एक पक्ष विनाश के लिये मुँह फाड़कर खड़ा है।

    अगर इसी क्रम से, इसी राह पर जिस पर आज हम चल रहे हैं, वैज्ञानिक उन्नति, मनुष्यों के भीतर स्वार्थपरता की वृद्धि, मनुष्यों की सन्तानों पर नियंत्रण का अभाव यही क्रम चला तो दुनिया नष्ट हो जायेगी। आप ध्यान रखना सौ वर्ष बाद हम तो जिंदा नहीं रहेंगे, आपमें से कोई जिंदा रह जाये तो देखना दुनिया का क्या हाल होता है, अगर ये स्थिति बनी रही तो। एक और स्थिति है, जिसका हम ख्वाब देखते हैं। सपने हम देखते हैं। हमारे स्वप्नों की दुनियाँ बड़ी खूबसूरत दुनियाँ है, ऐसी दुनियाँ है, जिसमें प्यार भरा हुआ है, मोहब्बत भरी हुई है, विश्वास भरे हुए हैं, एक-दूसरे के प्रति सहकार भरे हुए हैं, एक-दूसरे की सेवा भरी हुई है, इतनी मीठी, इतनी मधुर दुनियाँ है, हमारे दिमाग में घूमती है। अगर हमारे सपने कदाचित् साकार हो गये तो ये भरा हुआ विज्ञान, ये भरा हुआ धन, ये भरी हुई विद्या, ये भरी हुई सुविधाएँ, आदमी के लिये मैं सोचता हूँ स्वर्ग के वातावरण को उतार करके जमीन पे ले आयेगी।

    हजारों-लाखों वर्ष पूर्व न सड़कें थीं, न बिजली थी, न रोशनी थी, न टेलीफोन था, न डाकखाना था, न कुछ भी नहीं था। ऐसे अभाव के जमाने में स्वर्गीय जिन्दगी जीया करते थे। आज बेहतरीन परिस्थितियों में दुनिया में इतनी शान्ति, इतनी सरसता, इतना सौंदर्य, इतना सुख पैदा कर सकते हैं कि हम नहीं कह सकते। जिस चौराहे पर हम खड़े हुए हैं, एक विनाश का चौराहा और एक उन्नति का चौराहा है। उन्नति में क्या होने वाला है, इसके लिये आपको भूमिका निभानी पड़ेगी। काष्टींग वोट आपका है। दो वोट बराबर होते हैं। एक वोट प्रेसीडेन्ट का होता है। प्रेसीडेन्ट दोनों वोट बराबर वाले में से जिसको चाहे उसके पक्ष में अपना डाल सकता है, उसी को जिता सकता है। आप लोग, आप लोग बैलेंसिंग पॉवर में हैं। आप चाहें तो अपना वोट उसकी ओर डाल सकते हैं, जो पक्ष विनाश की ओर जा रहा है। आप चाहें तो अपना पक्ष उसके पक्ष में डाल सकते हैं, जो सुख और शान्ति लाने के लिये जा रहा है।

    मैं सोचता हूँ, आपको ऐसा ही करना चाहिये। सुख-शान्ति के लिये अपना वोट डालना चाहिये और आपको अपनी वर्तमान जिन्दगी, जानवरों के तरीके से नहीं जीनी चाहिये। आपको अपनी वर्तमान जिन्दगी मनुष्यों के तरीके से, विचारशीलों के तरीके से, समझदार के तरीके से खर्च करना चाहिये। ये विशेष समय है, ऐसा समय फिर आने वाला नहीं है। आज की बात समाप्त।

।।ॐ शान्तिः।।

<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:







Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118