अदभुत, आश्चर्यजनक किन्तु सत्य -1

तबादला स्थगित हुआ

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        सन् १९६५ से मैं अखण्ड ज्योति का सदस्य बना। इसके पश्चात् अखण्ड ज्योति संस्थान, मथुरा से पहली बार परम पूज्य गुरु देव के हाथ का लिखा पत्र मिला, जिसमें गुरुदेव ने ‘‘मेरे आत्मस्वरूप’’ करके सम्बोधन किया था। इस पत्र में इतना अपनापन का भाव था कि मन भीग गया और १८ जून १९७१ को मथुरा में गुरुदेव से दीक्षा ले ली। घटना १९७५ की है। मैं रेलवे में सर्विस कर रहा था। मेरी पोस्टिंग लुधियाना में थी। मैं मेकेनिक सिग्नल इंस्पेक्टर के पद पर कार्य कर रहा था। इस सर्विस में तबादला हमेशा ही होता रहता है। इसी क्रम में मेरा तबादला कानपुर में हुआ, जहाँ आधुनिक पावर सिग्नल का काम शुरू करना था। इसके लिए मैं सक्षम नहीं था। इस कार्य का मुझे कोई अनुभव नहीं था। मन बहुत डर रहा था। कहीं कोई गड़बड़ी हो तो नौकरी ही चली जाएगी। मैंने तबादला रुकवाने के लिए काफी प्रयास किया, लेकिन सारे प्रयास बेकार सिद्ध हुए। इसी बीच शान्तिकुञ्ज से जीवन साधना शिविर में सम्मिलित होने के लिए स्वीकृति पत्र मिला, जिसके लिए मैंने पहले ही आवेदन दे रखा था। पत्र मिलते ही निश्चित समय पर शिविर में शामिल होने के लिए मैं शान्तिकुञ्ज पहुँचा।

        शिविर शुरू हो गया था। मैं नियमित दिनचर्या में सम्मिलित होता था। उन दिनों गुरुदेव दोपहर में स्वयं सभी परिजनों से मिलते थे। मैं भी गुरुदेव के पास पहुँचा। कमरे में प्रवेश करते ही गुरुदेव ने बुलाकर पास बिठाया और हाल समाचार पूछे। तबादले को लेकर मेरी दुश्चिन्ता उनसे छिपी नहीं रही। शायद उस समय भी मेरे मुख पर चिन्ता के भाव थे। मैंने स्वयं अपनी समस्या के बारे में नहीं बताया। गुरुदेव ने कहा- बेटा ‘‘तुम कुछ चिन्तित दिखते हो, क्या बात है?’’ मैंने बात टालने की कोशिश की। लेकिन गुरुदेव के बार- बार पूछने पर मैंने बताया कि गुरुदेव! मेरा तबादला कानपुर में हो रहा है। नई सिग्नलिंग पूरी तरह इलेक्ट्रिकल है और सुरक्षा की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण भी। इस कार्य को करने का कोई अनुभव भी मेरे पास नहीं है।   मेरी बातों को सुनकर गुरुदेव मुस्कुराए और बड़े ही सहज भाव से बोले कि ‘‘यदि तुम वहाँ नहीं जाना चाहते हो, तो नहीं जाओगे। चिन्ता न करो। तुम शिविर करने आए हो, उसे मन लगाकर करो।’’

        शिविर समाप्त कर जब लुधियाना पहुँचा तो देखा, वहाँ तबादले को लेकर काफी चर्चा छिड़ी हुई थी। मेरे ऑफिस पहुँचते ही साथियों ने सूचना दी कि आपका तबादला स्थगित हो गया है। मुझे विश्वास नहीं हुआ। फिर साथियों ने कहा कि स्वयं चीफ सिग्नल इंजीनियर ने तबादले की लिस्ट मँगाकर आपका नाम काट दिया है। ये शब्द सुनते ही मुझे गुरु देव का सहज भाव से दिया गया आश्वासन याद आया तभी मैंने जाना कि सरकारी मशीनरी भी उनकी इच्छा के ही अधीन है।

प्रस्तुति :: अनिरुद्ध प्र. श्रीवास्तव
    लखनऊ (उ.प्र.)

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