आओ गढ़े संस्कारवान पीढ़ी
प्रत्येक माता पिता की यह हार्दिक इच्छा रहती है कि उसकी संतान बहुत सुन्दर, संस्कारवान, बुद्धिमान एवं स्वस्थ हो। इसके लिए गर्भ में ही शिशु का पोषण कर उसके शरीर और शरीर को चलाने वाली अन्तःचेतना का विकास किया जाना अवश्यंभावी है। गर्भावस्था में शिशु का शारीरिक, मानसिक व् आध्यात्मिक विकास कर उसे मन चाहे सांचे में ढाला जा सकता है। हमारे घर में भी राम, कृष्ण, मुहम्मद, ईसा, भक्त प्रह्लाद,शिवाजी, विवेकानंद, अब्दुल क़लाम, जैसी प्रतिभाशाली एवं दिव्य संताने जन्म ले सकती हैं। आओ जाने यह कैसे संभव है।
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