पातंजलि योग को राजयोग कहा जाता है। उसके आठ अंग (भाग) हैं। इन आठ अंगों की गणना इस प्रकार होती है- (१) यम, (२) नियम, (३) आसन, (४) प्राणायाम, (५) प्रत्याहार, (६) धारणा, (७) ध्यान, (८) समाधि। आवश्यक नहीं कि इन्हें एक के बाद ही दूसरे इस क्रम में प्रयोग किया जाय। साधना विधि ऐसी बननी चाहिए कि इन सभी का मिलाजुला प्रयोग चलता रहे। जिस प्रकार अध्ययन, व्यायाम, व्यापार, कृषि आदि को एक ही व्यक्ति एक ही समय में योजनाबद्ध रूप से कार्यान्वित करता रह सकता है, उसी प्रकार राजयोग के अंगों को भी दिनचर्या में उनका स्थान एवं स्वरूप निर्धारित करते हुए सुसंचालित रखा जा सकता है।