न डरिये न अशांत हूजिये
कितना ही प्रयत्न करने पर भी, कितनी ही सावधानी बरतने पर भी ऐसा संभव नहीं कि मनुष्य के जीवन में अप्रिय परिस्थितियाँ प्रस्तुत न हों । यहाँ सीधा और सरल जीवन किसी का नहीं है । अपनी तरफ से मनुष्य शान्त, संतोषी और संयमी रहें, किसी से कुछ भी न कहे, तो भी लोग उसे शांतिपूर्वक समय काट लेनें देंगे इसका कोई निश्चय नहीं । कई बार तो सीधे और सरल व्यक्तियों से अधिक लाभ उठानें के लिए दुष्ट, दुर्जनों की लालसा और भी तीव्र हो उठती है । कठिन प्रतिरोध की संभावना न देखकर सरल व्यक्तियों को सताने में दुर्जन कुछ न कुछ लाभ ही सोचते हैं ।
सताने भर से कुछ न कुछ वस्तुएं मिल जाती हैं और दूसरों को आतंकित करने, डराने का एक उदाहरण उनके हाथ लगता है ।
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