बुद्धि की देवी गायत्री के प्रत्येक उपासक के लिए
स्वाध्याय भी उतना ही आवश्यक धर्म कृत्य है, जितना
जप, ध्यान, पाठ आदि । बिना स्वाध्याय के, बिना ज्ञान की
उपासना के बुद्धि पवित्र नहीं हो सकती, मानसिक मलीनता
दूर नहीं हो सकती और इस सफाई के बिना माता का
सच्चा प्रकाश कोई उपासक अपने अंतःकरण में अनुभव
नहीं कर सकता । जिसे स्वाध्याय से प्रेम नहीं, उसे गायत्री
उपासना से प्रेम है, यह नहीं माना जा सकता । बुद्धि की
देवी गायत्री का सच्चा भोजन स्वाध्याय ही है । ज्ञान के
बिना मुक्ति संभव नहीं । इसलिए गायत्री उपासना के साथ
ज्ञान की उपासना भी अविच्छिन्न रूप से जुड़ी हुई है ।