मैं क्या हूँ ?

इस संसार में जानने योग्य अनेक बातें हैं । विद्या के अनेकों सूत्र हैं, खोज के लिए, जानकारी प्राप्त करने के लिए अमित मार्ग हैं। अनेकों विज्ञान ऐसे हैं जिनकी बहुत कुछ जानकारी प्राप्त करना मनुष्य की स्वाभाविक वृत्ति है। क्यों? कैसे? कहाँ? कब? के प्रश्न हर क्षेत्र में वह फेंकता है। इस जिज्ञासा भाव के कारण ही मनुष्य अब तक इतना ज्ञान सम्पन्न और साधन सम्पन्न बना है। सचमुच ज्ञान ही जीवन का प्रकाश स्तम्भ है।

    जानकारी की अनेकों वस्तुओं में से "अपने आपकी जानकारी" सर्वोपरि है। हम बाहरी अनेक बातों को जानते हैं या जानने का प्रयत्न करते हैं पर यह भूल जाते हैं कि हम स्वयं क्या हैं? अपने आपका ज्ञान प्राप्त किए बिना जीवन का क्रम बड़ा डाँवाडोल, अनिश्चित और कंटकाकीर्ण हो जाता है। अपने वास्तविक स्वरूप की जानकारी न होने के कारण मनुष्य न सोचने लायक बातें सोचता है और न करने लायक कार्य करता है। सच्ची सुख शान्ति का राजमार्ग एक ही है और वह है-"आत्म ज्ञान"। इस पुस्तक में आत्म ज्ञान की शिक्षा है। "मैं क्या हूँ?" इस प्रश्न का उत्तर शब्दों द्वारा नहीं वरन् साधना द्वारा हृदयंगम कराने का प्रयत्न इस पुस्तक में किया गया है। यह पुस्तक अध्यात्म मार्ग के पथिकों का उपयोगी पथ प्रदर्शन करेगी, ऐसी हमें आशा है।

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