गायत्री ही कामधेनु है

गायत्री ही कामधेनू है

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पुराणों में उल्लेख है कि सूर्यलोक में देवताओं के पास कामधेनु गौ है, वह अमृतोपम दूध देती है ।। जिसे पीकर देवता लोग सदा सन्तुष्ट, प्रसन्न तथा सुसम्पन्न रहते हैं, इस गौ में यह विशेषता है कि उसके समीप कोई अपनी कुछ कामना लेकर आता है, तो उसकी इच्छा तुरन्त पूरी हो जाती है ।। कल्पवृक्ष के समान कामधेनु गौ भी अपने निकट पहुँचने वालों की मनोकामना पूरी करती है ।।

यह कामधेनु गौ गायत्री ही है ।। इस महाशक्ति की जो देवता, दिव्य स्वभाव वाला मनुष्य उपासना करता है ।। वह माता के स्तनों के समान आध्यात्मिक दुग्ध धारा का पान करता है, उसे किसी प्रकार कोई कष्ट नहीं रहता ।। आत्मा स्वतः आनंद स्वरूप है ।। आनंद मग्न रहना उसका प्रमुख गुण है ।। दुःखों के हटते और मिटते ही वह अपने मूल स्वरूप में पहुँच जाता है ।। देवता स्वर्ग में सदा आनंदित रहते हैं ।। मनुष्य भी भूलोक में उसी प्रकार आनन्दित रह सकता है, यदि उसके कष्टों का निवारण हो जाए ।। गायत्री कामधेनु मनुष्य के सभी कष्टों का समाधान कर देती है ।।

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