आमतौर पर 60-70 वर्ष से अधिक आयु के सम्बन्ध में यह माना जाता है कि इस उम्र में मनुष्य की जीवनी शक्तियां चुकने लगती हैं। लोग इस आयु में मृत्यु की प्रतीक्षा करने लगते हैं और जीवन से हताश होकर निष्क्रिय, निद्रित, मरणोन्मुख, मृतप्राय जिन्दगी जीने लगते हैं। वास्तविकता यह है कि मनुष्य की पूर्ण आयु 100 वर्ष की निर्धारित की गई है। ऋषियों ने भी मनुष्य की आयु के चार भाग कर उसे चार आश्रमों में बांटकर क्रमशः व्यक्तिगत, पारिवारिक तथा सामाजिक उत्तरदायित्वों को पूरा करने के निर्देश दिये थे किन्तु इन दिनों थोड़े ही व्यक्ति ऐसे होते हैं जो 60-70 की आयु पार करते हैं। ऐसे व्यक्तियों की गिनती तो अंगुली पर की जा सकती है, जिन्होंने सौ वर्ष की जिंदगी देखी और जीयी। पिछले दिनों अमरीका में हुई जनगणना के अनुसार वहां 29 हजार व्यक्ति ऐसे थे जो सौ वर्ष की आयु पार कर चुके थे और इसके बाद भी वे सक्रिय थे।