बचत ही आपकी असली आय है

बड़े कहलाने वाले व्यक्तियों की आर्थिक विपत्तियाँ संसार के बड़े माने जाने वाले लोगों पर बचत का धान न रखने, आमद और खर्च का हिसाब-किताब न लिखने, उधार माल खरीदने, वक्त पर अदायगी न करने और आवश्यक जरूरतें बढाये रखने के कारण बड़ी-बड़ी मुसीबतें आई हैं, उन्हें बुरी तरह लज्जित होना पड़ा है और यहाँ तक कि मुकदमों के जाल-जंजाल में बंधे रहना पड़ा है । अमीरों के आरामतलब, आलसी, व्यासनी और विलासी उत्तराधिकारियों ने कर्ज के शिकार बनकर बड़ी-बड़ी पुस्तैनी जायदाद स्वाहा कर दी हैं । राजाओं ने अपनी रियासतें नष्ट कर दी हैं और रईसों ने घर के मकान तक कौड़ियों के दाम बेच डाले हैं । परिवार का एक ही फिजूल खर्च सदस्य समूचे कुटुम्ब को ले डूबा है । उन्होंने नया धन तो नहीं कमाया, पुराने पर ही ऋण लेकर जायदादें हड़प कर गये । लखनऊ के नबाब परिवारों के कई सदस्य आज भी लखनऊ के बाजारों में ताँगा हाँकते हैं । उपन्यासकार सर वाल्टर स्काट अनुभवहीनता में आकर कर्जदार बन गए थे । उन्हें प्रेस के व्यवसायों में इतना घाटा लगा कि उम्र भर उपन्यास लिख-लिखकर ऋण की आदायगी करते रहे । उन पर यह कर्ज न होता और किफायतशारी की आदत होती, तो निश्चय ही लखपति बन जाते और आर्थिक समृद्धि का जीवन व्यतीत करते लेकिन दुर्भाग्य देखिए, उनका पूरा जीबन सूद और मूल की अदायगी में लग गया ।

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