असीम पर निर्भर-ससीम जीवन

लहरों का पृथक् अस्तित्व दीखने पर भी वे वस्तुत: समुद्र की विशाल जलराशि की ही छोटी-छोटी इकाइयाँ होती है । किरणों का समन्वय ही सूर्य है । व्यक्तियों के समूह को समाज कहते हैं । सृष्टि के सबसे छोटे घटक अंड या अणु कहलाते हैं, इन्हीं का विशाल समुदाय ब्रह्मांड है । आत्माओं की सग्रिहक चेतना परमात्मा है । हम हवा के विशाल समुद्र में उसी प्रकार साँस लेते और जीते है, जिस प्रकार मछलियाँ किसी जलाशय में अपना निर्वाह करती हैं । प्राणियों की समग्र सत्ता बह्म है । अणुओं का समुदाय ब्रह्मांड, प्राणी और पदार्थों की सत्ता दीखती तो स्वतत्र है; पर वस्तुत: वह एक ही विशाल महाप्राण के अनंत संसार से अपना पोषण प्राप्त करते हैं, उसी में उगते, बढ़ते और बदलते रहते हैं ।

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