तप ही व्यक्ति निर्माण की धुरी :- श्रुति कहती है तप से प्रजापति ने इस सृष्टि को सृजा। सूर्य तपा और संसार को तपाने मे समर्थ हुआ। तप के बल से शेषनाग पृथ्वी का वजन उठाते है। शक्ति और वैभव का उदय तप से ही होता है। तपाने पर ही धातुओ से उपकरण ढलते है। सोने के आभूषण बनते हैं। बहुमूल्य रस-भस्में तपाये जाने पर ही अमृतोपम गुण दिखाती है।