अमर वाणी - १
आत्मसम्मान के नाम पर कई बार ओछे स्तर का अहंकार विदूषक जैसा वेष बनाकर सामने आ खड़ा होता है। हमें अहंकार और आत्मसम्मान का अन्तर समझना चाहिए। अहंकार वस्तुओं और परिस्थितियों को खोजता है और उनके आधार पर रुष्ट, तुष्ट होता है, जबकि आत्म-गौरव आन्तरिक स्तर पर-गुण, कर्म, स्वभाव के स्वरूप पर आकांक्षाओं और विचारणाओं की दिशा पर आधारित रहता है। जिसकी अन्तःभूमि उज्ज्वल है उसे बाह्य परिस्थितियों से कुछ लेना-देना नहीं रह जाता। उसे भौतिक जीवन की सफलता, असफलताएँ प्रभावित नहीं करती।
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