आज के संदर्भ में धर्म

April 1992

Read Scan Version
<<   |   <  | |   >   |   >>

धर्म की आज के संदर्भ में मानव ज्योति को जितनी आवश्यकता व उससे जितनी अपेक्षा है, उतनी आज से पूर्व संभवतः कभी नहीं रही । आज धर्म का धर्मान्धता से लेकर अंध श्रद्धा व मूढ़ मान्यताओं के जंजाल वाला जो रूप दृष्टिगोचर होता है, वह सही धर्म नहीं है, यह तथ्य जन-जन द्वारा हृदयंगम किया जाना चाहिए। धर्म व्यक्ति को कर्त्तव्योन्मुख बनाता है, पलायनवादी नहीं। वह व्यक्ति को श्रेष्ठ मार्ग पर चलाता है, आपस में लड़ाता नहीं। वह व्यक्ति की संवेदना जगाकर उसके अंदर का देवत्व जगाता है, उसके विवेकहीन भावुकता को उभारकर उसे फनेटिक-धर्मान्धता नहीं बनाता। धर्म वह है जिसे धारण किया जाता है एवं जीवन पथ पर प्रगति के कदम बढ़ाता चला जाता है।

शास्त्रकारों ने कहा है कि जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म उसकी रक्षा करता है। आज हमने मानव धर्म को उसके विराट रूप को छोटे-छोटे सम्प्रदायों के-कटघरे में बंद कर स्वयं को असुरक्षित बना लिया है, क्योंकि हम धर्म की रक्षा नहीं कर सके। धर्म की रक्षा का अर्थ है उसे सही अर्थों में जीवन में उतारना। चिन्तन को सही बनाते हुए उसे उदात्त बनाना। कौनसा धर्म सही है? हिंदू, ईसाई, मुस्लिम, ताओ पारसी, यहूदी, जैन शिण्टो या कोई और, इस व्यर्थ के विवाद में न पड़कर यदि विज्ञान सम्मत-प्रगतिशील चिन्तन पर आधारित धर्म धारणा को जीवन का अंग बना लिया जाए तो सारा ऊहापोह व आज समाज में छाई विषमता मिट जाए। आज युगधर्म यही है कि धर्म के संबंध में संव्याप्त भ्राँतियों का कुहासा मिटे तथा मानव मात्र को श्रेष्ठ पथ पर साथ लेकर चलने का चिन्तन जन-जन तक पहुँचे।


<<   |   <  | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles






Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118