Unknown column 'navbar' in 'where clause' परकाया प्रवेश की सूक्ष्मीकरण साधना - Akhandjyoti November 1984 :: (All World Gayatri Pariwar)

परकाया प्रवेश की सूक्ष्मीकरण साधना

November 1984

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आद्य शंकराचार्य का एक विदुषी महिला भारती से शास्त्रार्थ हुआ। धर्म दर्शन के प्रकाण्ड विद्वान आचार्य शंकर अन्य विषयों में तो जीत गए, किन्तु एक विषय में उनका अनुभव न होने से शास्त्रार्थ प्रक्रिया को बीच में ही रोकना पड़ा। तत्काल तैयारी न होने से उन्होंने इसके लिये समय माँगा। विषय था- ‘कामशास्त्र’। विदुषी महिला जानबूझकर इस पर अड़ी हुई थीं कि इस विषय पर भी अपनी पूर्ण मर्यादा में शास्त्रार्थ किया जाय।

आद्य शंकराचार्य ने इस अवधि में परकाया प्रवेश सिद्धि का प्रयोग कर मृत राजा के शरीर में प्रवेश किया और गृहस्थ जीवन सम्बन्धी यौन विज्ञान का अनुभव अर्जित किया। इस बीच उनके अपने स्थूल शरीर को शिष्यों की देखभाल में रखा गया ताकि उसमें पुनः आचार्य समय आने पर प्रवेश कर सकें। जब नियत अवधि पूरी हुई तो उनने राजा की काया में से अपना सूक्ष्म शरीर निकाल कर स्थूल काया में प्रवेश कर लिया। तदुपरान्त शास्त्रार्थ हुआ एवं अर्जित अनुभवों के आधार पर अपने तर्क सम्मत प्रतिपादनों के कारण आचार्य शंकर विजयी घोषित किए गये। यह सूक्ष्मीकरण साधना की सिद्धि का ही एक अंग है। योग विद्या में निष्णात व्यक्ति अपनी चेतन सत्ता को स्थूल काया से कभी भी अलग व सम्बद्ध कर सकते हैं। इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं।


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