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कल्पवृक्ष का अस्तित्व स्वर्गलोक में माना जाता है और कहा जाता है कि उसकी अमुक विधि से पूजा प्रार्थना करने पर अभीष्ट मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इस अदृश्य एवं रहस्य मय प्रतिपादन में संदेह करने की गुंजाइश है।
किन्तु भूलोक के उस कल्पवृक्ष के अस्तित्व का अनुभव हर कोई कर सकता है जो उसे ‘जीवन’ के रूप में ईश्वर की महान अनुकम्पा का प्रत्यक्ष प्रमाण बन कर मानव प्राणी को उपलब्ध हुआ है। यह अद्भुत है। अनुपम और असाधारण। यह दिव्य भी है और महान भी। इसके अन्तराल में जो सम्भावनाएँ एवं सिद्धियां भरी पड़ी हैं उन्हें देखते हुए रत्नाकर कहने में संकोच- नहीं होना चाहिए। जीवन सबसे प्रत्यक्ष, सबसे निकट और सबसे अधिक वरदायी देवता है। उसका सदुपयोग भर किया जा सके तो वह सब कुछ उपलब्ध हो सकता है जो कल्पवृक्ष से अभीप्सित है। प्रगति का सुविस्तृत इतिहास साक्षी है कि जिनने भी जीवन सम्पदा का सुनियोजित उपयोग किया वे न तो पिछड़ेपन से ग्रहित रहे और न सामान्य समझे गये। उनने तत्परता और सजगता अपना कर अभिष्ट दिशा में साहसिक प्रगति की और पुरुषार्थ के बल-बूते ऐतिहासिक महामानवों की पंक्ति में जा खड़े हुए।
कहा जाता है कि कल्पवृक्ष से भी कुछ प्राप्त करने का एक निश्चित विधि-विधान है। जीवन देवता भी प्रत्यक्ष कल्पवृक्ष है। शर्त एक ही है कि अभीष्ट की प्राप्ति के लिए उसका श्रेष्ठ तम सदुपयोग करने की विधि व्यवस्था बनाई और अपनाई जाय।